Wednesday, June 2, 2010

मेरा घर जल गया

मेरा घर जल गया
मैं रोया चिल्लाया, लोगों को बताया
लोगों ने सुना, सहानुभूति दिखाई
घर गए और सो गए
चलो अपना घर तो नहीं जला
अब मुझे इंतज़ार है
कब दुसरे का घर जले
और मैं भी खुशियाँ मनाऊँ
- मधुरेश, फेब्रुअरी 1999

No comments:

Post a Comment