Wednesday, June 2, 2010

ख़ुदा के नेक बंदे

पत्थर की मूर्तियों में है बसता ख़ुदा
मानकर तोड़ डाला
तुमने
बेज़ान मुस्कुराते बुद्ध को
अपने पागलपन को छुपाने की
ख़ातिर
एक शातिप्रिय पागल को मिटाया है
तुमने
एक सूर्य को बुझाने की कोशिश में
अपना घर ख़ुद जलाया है
तुमने
ख़ुदा के नाम पर ही
ख़ुदा के बन्दों को सताया है
तुमने
कब तक यूँ ही तुम्हारा पागलपन
रहेगा जारी
कब तक यूँ ही दुनिया
रहेगी खामोश
ऐ ख़ुदा के नेक बंदे
कभी तो तुम्हे अक्ल आएगी
और पत्थरों को छोड़
अपने पागलपन के अनेक
चेहरों को तोड़ोगे तुम  .
- मधुरेश, मार्च २५ २००१. तालिबान के द्वारा बामियान में बुद्ध की प्रतिमा तोड़ने के बाद.

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