Wednesday, June 2, 2010

तुम्हारे लिए

तुम्हारे लिए
एक ख़त
और एक ख़त में छुपी ढेर सारी बातें
बातें पूरी दुनिया की
आज की, कल की और परसों की
तुम्हारे लिए
ख़त में छिपे प्रत्येक अक्षर
और उन अक्षरों का रूप, साज़ और श्रृंगार
अक्षरों से आती मेरे दिल की पुकार
उनमे छिपा मेरे भावों का संसार
सब तुम्हारे लिए
और क्या ?
दादा-दादी की कहानियां, इंडिया गेट की सैर
पंडित जी की बांसुरी और सितार
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, साथ में फिल्मे
सब कुछ तो तुम्हारे लिए
पर मेरे लिए
सिर्फ यादें, यादें और ढेर सारी यादें
- मधुरेश, मई 1999

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