Wednesday, June 2, 2010

एक शाम की मौत का इंतज़ार

एक शाम की मौत का इंतज़ार
किया था उस पीपल के नीचे
जब तुम दूर उसकी बाँहों में
झूल रही थी
तिनका तिनका जोड़, तुम्हारी यादों का
एक सपनो का घर ही तो बनाया था
इस शाम की मौत और उसका संताप मानाने
हर कोई आया था
आई नहीं तो सिर्फ तुम, सिर्फ तुम .
- मधुरेश, 2000

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