Wednesday, June 2, 2010

तलाश

तलाश
मुझे अहसास है
तुम्हारी गर्म सांसो से भरे चेहरे को
अपने हाथों में ले
धीरे से उठाया था मैंने
तुम्हारी लाल-लाल आँखों में
देखी थी अपने आँखों की परछाई
कुछ पल यूँ ही डूबा रहा था
तुम्हारे आँखों की लाली में
अचानक ही ख्याल आया
वह कोने में खड़ा वेटर
काफी देर से हमें ही तो 
देख रहा था
हडबडाकर, तुम्हारे मोती से
आसूँ की दो बूँद सहेजे
मैं चल पड़ा था
किसी और की तलाश में
- मधुरेश, पुणे, १३ जून २०००

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